Tiger Shroff की Baaghi 4 Review: – सिर्फ़ फैंस नहीं, दिमाग भी उड़ गया

अगर आपने सोचा कि टाइगर श्रॉफ की फिल्में सिर्फ़ एक्शन होती हैं, तो ‘Baaghi 4‘ आपको बता देगी कि एक्शन के नाम पर 2.5 घंटे का “Hallucination” भी दिया जा सकता है। ये फिल्म नहीं, एक ऐसी यात्रा है जिसमें ना कोई मंज़िल है, ना कोई रास्ता। और सबसे बड़ी बात — इसमें लॉजिक, स्क्रिप्ट और इमोशन तीनों गायब हैं।

🧠 फिल्म की कहानी: नींद, भ्रम और बेमतलब की लड़ाई

कहानी की शुरुआत होती है Ronnie (Tiger Shroff) से, जो एक्सीडेंट के बाद कोमा में चला जाता है। फिर पता चलता है कि पूरी कहानी, जिसमें उसकी गर्लफ्रेंड Alisha (Harnaaz Sandhu) की मौत, कब्र, और उसकी भावनात्मक तड़प दिखाई जाती है — सब उसका भ्रम (hallucination) था।

इतना ही नहीं, Shreyas Talpade जैसे टैलेंटेड एक्टर को ऐसा रोल दिया गया है, जो बस बैकग्राउंड में exist करता है। और फिर आता है एक ऐसा क्लाइमैक्स, जिसमें न कोई तर्क है, न ही भावना।

🧨 टेक्निकल डिटेल्स (Technical Details in Hindi)

🎥 निर्देशन (Direction)

  • डायरेक्टर जैसे पूरी फिल्म के दौरान ब्रेक पर थे।
  • ऐसा लगा जैसे हर एक्टर को बोल दिया गया हो, “जो मन करे करो।”

✍️ स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले

  • कहानी कहीं से शुरू होती है और कहीं जाती नहीं।
  • आधी फिल्म भ्रम है और बाकी आधी मानसिक अत्याचार।

🕴️ अभिनय (Acting)

  • Tiger Shroff: एक्शन में माहिर, एक्टिंग में कमजोर। ऐसा लगा जैसे Google Maps बिना इंटरनेट के काम कर रहा हो — डेस्टिनेशन कभी नहीं मिला।
  • Harnaaz Sandhu: बस स्क्रीन पर थीं, लेकिन कहानी में कोई योगदान नहीं। सिर्फ़ सौंदर्य और ट्रैजिक डेथ तक सीमित।
  • Shreyas Talpade: एक समय के ‘Iqbal’ अब साइड रोल में सिर्फ़ टाइमपास के लिए।
  • Sonam Bajwa: फिल्म में थीं, लेकिन क्यों थीं, ये खुद उन्हें भी नहीं पता।
  • Sanjay Dutt: ऐसा लगा जैसे उन्हें जबरदस्ती विलन बना दिया गया हो, और खुद उन्हें भी स्क्रिप्ट समझ नहीं आई।

🎬 एक्शन सीक्वेंस

  • हर फाइट ऐसे जैसे स्लो-मोशन की प्रतियोगिता चल रही हो।
  • कोई उद्देश्य नहीं, कोई इमोशन नहीं, बस हवा में उड़ते टाइगर श्रॉफ।

🔥 फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरियाँ

  1. Hallucination-based स्टोरी: दर्शक भ्रम में रहता है कि क्या सच है और क्या सपना।
  2. Character Development: कोई भी किरदार मजबूती से नहीं लिखा गया।
  3. Emotionless Romance: लव स्टोरी सिर्फ़ दिखाने के लिए, फील करने के लिए नहीं।
  4. Over-the-top Action: कहानी से कोई संबंध नहीं, सिर्फ़ स्क्रीन पर शोर-शराबा।
  5. Logic की पूरी छुट्टी: क्लाइमैक्स आते-आते दिमाग छोड़ने को मजबूर हो जाता है।

🤦‍♂️ दर्शकों का अनुभव: “Cinema Gods, बचा लो!”

Baaghi 4 देखते वक्त आप यही सोचेंगे — बिजली चली जाए, स्क्रीन ब्लैक हो जाए, या प्रोजेक्टर खराब हो जाए। फिल्म आपको थका देती है। हर सीन एक नया मानसिक परीक्षण है।

✅ क्या आपको ये फिल्म देखनी चाहिए?

बिल्कुल नहीं, अगर:

  • आपको अच्छी स्क्रिप्ट चाहिए।
  • आप लॉजिक की उम्मीद करते हैं।
  • आप टाइगर श्रॉफ के पुराने फैन हैं और उनकी इज़्जत बचाना चाहते हैं।

शायद हाँ, अगर:

  • आप पिछले जन्म में कोई पाप कर चुके हैं।
  • आप सिनेमा को सजा के तौर पर देखना चाहते हैं।

🧾 निष्कर्ष (Conclusion)

Baaghi 4 एक ऐसी फिल्म है जिसमें ना कहानी है, ना भावनाएं और ना ही टाइगर श्रॉफ की एक्टिंग में कोई नयापन। सिर्फ़ हवा में उड़ते पंच, बेमतलब के स्टंट और एक ऐसी स्क्रिप्ट जो शायद किसी बुरे सपने से निकली हो।

अगर आप सच में फिल्म देखना चाहते हैं, तो घर पर पुराने ‘Baaghi’ पार्ट्स देख लें — कम से कम उसमें कुछ लॉजिक तो था।

👉 Final Verdict:

रेटिंग: ⭐☆☆☆☆ (1/5)
“ये फिल्म नहीं, मानसिक परीक्षा है। देखने से पहले Paracetamol ज़रूर साथ रखें।”

अगर आपको ये रिव्यू अच्छा लगा, तो शेयर करें उन दोस्तों के साथ जो अभी ‘Baaghi 4’ देखने की सोच रहे हैं — ताकि वो इस cinematic trap से बच सकें!

🛑 Disclaimer (अस्वीकरण)

यह रिव्यू केवल लेखक की व्यक्तिगत राय पर आधारित है। इसमें व्यक्त की गई सभी टिप्पणियाँ हास्य, व्यंग्य और मनोरंजन के उद्देश्य से की गई हैं। हमारा उद्देश्य किसी कलाकार, निर्माता, निर्देशक या दर्शक की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।

हर व्यक्ति की पसंद और अनुभव अलग होता है — हो सकता है जो फिल्म हमें पसंद नहीं आई, वो आपको अच्छी लगे। इसलिए कृपया अपनी राय बनाने से पहले खुद फिल्म देखकर निर्णय लें।

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