रामायण के पाँच अध्यायों में से पाँचवाँ अध्याय “सुंदरकांड” भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी के अदम्य साहस और अटूट भक्ति का अद्भुत वर्णन करता है। इस अध्याय में हनुमान जी की लंका यात्रा, सीता माता की खोज, रावण से मुलाकात और लंका दहन का विस्तृत वर्णन मिलता है।
सुंदरकांड का पाठ हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह माना जाता है कि नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से शुभ फल मिलते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
सुंदरकांड की कथा (The Story of Sunderkand)
- हनुमान जी का सुग्रीव से मिलन (Hanuman Ji’s meeting with Sugriva): इस अध्याय की शुरुआत में हनुमान जी का वानर राजा सुग्रीव से मिलन होता है। सुग्रीव अपनी पत्नी सीता को रावण द्वारा अपहरण कर लिए जाने का दुःख हनुमान जी को सुनाते हैं। हनुमान जी राम की सहायता करने का वचन देते हैं।
- हनुमान जी का समुद्र पार करना (Hanuman Ji crosses the sea): हनुमान जी अपने अद्भुत बल का प्रदर्शन करते हुए एक छलांग में समुद्र पार कर लंका द्वीप पहुँच जाते हैं।
- हनुमान जी सीता माता की खोज (Hanuman Ji searches for Sita Mata): लंका में पहुँचकर हनुमान जी सीता माता की खोज आरंभ करते हैं। वे लंका के विभिन्न स्थानों पर सीता माता की तलाश करते हैं।
- अशोक वाटिका में सीता माता से मुलाकात (Meeting with Sita Mata in Ashok Vatika): अंतत: हनुमान जी अशोक वाटिका में सीता माता को ढूंढ लेते हैं। वे सीता माता को भगवान राम की अंगूठी देकर उनके आश्वासन देते हैं कि राम शीघ्र ही उन्हें लेने आएंगे।
- हनुमान जी का लंका दहन (Hanuman Ji burns Lanka): रावण से मुलाकात के बाद और सीता माता को राम का संदेश देने के बाद हनुमान जी लंका में आग लगा देते हैं। इसके बाद वे लंका छोड़कर वापस सुग्रीव और राम के पास लौट जाते हैं।
सुंदरकांड का पाठ करने के लाभ (Benefits of Chanting Sunderkand)
- मनोकामना पूर्ति (Fulfillment of desires): यह माना जाता है कि सच्चे मन से सुंदरकांड का पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- कष्टों का निवारण (Removal of obstacles): सुंदरकांड का पाठ जीवन में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
- साहस और बल की प्राप्ति (Gaining courage and strength): हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा लेकर भक्त अपने जीवन में साहस और बल प्राप्त कर सकते हैं।
- भक्ति और श्रद्धा का विकास (Development of devotion and faith): सुंदरकांड का पाठ भगवान राम और हनुमान जी के प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है।
सुंदरकांड के पाठ के लिए किसी विशेष समय या स्थान की बाध्यता नहीं है। आप सुबह या शाम के समय किसी शांत स्थान पर बैठकर श्रद्धापूर्वक इसका पाठ कर सकते हैं। पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखना और इसका अर्थ समझते हुए पाठ करना लाभदायक होता है।