इतिहास रचने की कगार पर हैं सुशीला कार्की
Former Chief Justice Sushila Karki: नेपाल में बड़ा सियासी बदलाव होने जा रहा है। खबरों के अनुसार, नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा होता है, तो वो नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बन जाएंगी, जो अपने आप में ऐतिहासिक होगा।
क्यों बन रही है कार्यवाहक सरकार?
नेपाल इस समय गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने अपना इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उस समय आया जब प्रदर्शनकारियों ने उनके दफ्तर पर धावा बोल दिया। जनता सरकार से भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन को लेकर नाराज़ थी।
सोमवार और मंगलवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। पहले यह आंकड़ा 19 था, लेकिन बाद में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे अपडेट किया।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। वे न्यायपालिका में अपने ईमानदार और बेबाक फैसलों के लिए जानी जाती हैं। खासकर भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके सख्त रुख के कारण, आज वो देश में एक सम्मानित चेहरा मानी जाती हैं।
इसी वजह से, हाल की जन-आंदोलनों में हिस्सा लेने वाली Gen Z युवाओं की टीम ने भी उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाने की सिफारिश की है। उनका मानना है कि सुशीला कार्की जैसी ईमानदार और निष्पक्ष महिला ही नेपाल को इस संकट से बाहर निकाल सकती हैं।
राष्ट्रपति की भूमिका
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल इस पूरे राजनीतिक संकट के बीच एक सुलझा हुआ रास्ता निकालने की कोशिश में हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, लेकिन अब तक नई सरकार नहीं बनी है।
राष्ट्रपति ने फिलहाल पुरानी कैबिनेट को अस्थायी रूप से काम पर रखा है जब तक कि एक नई अंतरिम सरकार का गठन नहीं हो जाता। इसके लिए दो विकल्प थे:
- संसद को भंग करना
- संविधान के दायरे में रहते हुए कार्यवाहक सरकार बनाना
अभी के लिए सभी पक्षों ने यह तय किया है कि संविधान के तहत कार्यवाहक सरकार ही सबसे बेहतर विकल्प है।
क्या है जन आंदोलनों की भूमिका?
नेपाल में हाल ही में हुए आंदोलन में युवा वर्ग, खासकर Gen Z की बड़ी भागीदारी रही है। इन युवाओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर ये जताया कि अब वो भ्रष्टाचार और दमनकारी नीतियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
युवाओं की इस मुहिम का ही असर है कि अब सरकार बदलाव की राह पर है और एक नई, पारदर्शी और जिम्मेदार नेतृत्व की तलाश की जा रही है।
कर्फ्यू में दी गई थोड़ी राहत
सरकार ने हालात को थोड़ा संभालने के लिए शुक्रवार को कर्फ्यू में थोड़ी राहत दी है। अब सुबह 7 बजे से 11 बजे तक लोग बाहर निकल सकते हैं। लेकिन 11 बजे से 5 बजे तक कुछ प्रतिबंध लागू रहेंगे। फिर शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक फिर से कर्फ्यू लागू हो जाएगा।
क्या होगा आगे?
अब सभी की निगाहें राष्ट्रपति के अगले कदम पर टिकी हैं। संवैधानिक विशेषज्ञों और राजनीतिक नेताओं से चर्चा के बाद राष्ट्रपति जल्द ही सुशीला कार्की की नियुक्ति की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
अगर ऐसा होता है, तो नेपाल को एक ईमानदार, निष्पक्ष और अनुभवी नेतृत्व मिल सकता है, जो देश को नई चुनावों की ओर लेकर जाएगा।
सुशीला कार्की की नियुक्ति क्यों है जरूरी?
- वे राजनीतिक दलों से जुड़ी नहीं हैं, जिससे उनके फैसले निष्पक्ष माने जाते हैं।
- उनका भ्रष्टाचार के खिलाफ रुख जनता में भरोसा पैदा करता है।
- वे महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन सकती हैं, खासकर नेतृत्व के क्षेत्र में।
- देश के मौजूदा हालात को देखते हुए, एक ऐसा नेतृत्व जरूरी है जो सभी पक्षों को साथ लेकर चल सके।
⚠️ डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारियाँ विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों और घटनाओं पर आधारित हैं। किसी भी निर्णय को लेने से पहले संबंधित आधिकारिक या विश्वसनीय स्रोतों से पुष्टि अवश्य करें। यह कंटेंट किसी प्रकार की राजनीतिक राय या समर्थन नहीं दर्शाता।