गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर लोगों को इंद्र के क्रोध से बचाने की कथा पर आधारित है। आइए, इस लेख में जानते हैं कि गोवर्धन पूजा 2024 की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, और इस त्योहार का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व क्या है।
गोवर्धन पूजा 2024 की तिथि (Govardhan Puja 2024 Date)
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होती है। इस दिन का महत्व इस बात में भी है कि इस दिन भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत को उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है, जो भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है।
- गोवर्धन पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त:
- प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 6:34 बजे से 8:46 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक
- संध्याकाल मुहूर्त: दोपहर 3:23 बजे से 5:35 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:05 बजे से 6:30 बजे तक
- त्रिपुष्कर योग: 3 नवंबर को सुबह 5:58 बजे तक
यह शुभ मुहूर्त और योग भक्तों को अपने पूजा अनुष्ठान के लिए सही समय चुनने में मदद करते हैं, ताकि उनका पूजा का फल अधिक फलदायी हो सके।
गोवर्धन पूजा का इतिहास (History of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कथा से जुड़ा है। जब भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि ब्रजवासियों पर इंद्र देव का क्रोध आ रहा है और भारी बारिश हो रही है, तो उन्होंने अपने छोटे से हाथों से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। इससे सभी लोग और जानवर उसकी छाया में सुरक्षित रहे और इंद्र देव का अहंकार टूट गया। तब से गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण को गोवर्धन पर्वत के रूप में पूजा जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व (Significance of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी है। इस पूजा में अन्नकूट के रूप में अनेक प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं, जिनका प्रसाद के रूप में वितरण होता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
गोवर्धन पूजा से यह संदेश मिलता है कि प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। यह पर्व हमें दिखाता है कि प्रकृति ही हमारे जीवन का आधार है, और हमें उसे सहेजकर रखना चाहिए।
गोवर्धन पूजा का अनुष्ठान (Rituals of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा के दिन, भक्त अपने घरों के आंगन में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं, जिसे गोधन कहा जाता है। इस पर्वत की पूजा की जाती है और अन्नकूट के रूप में भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के भोजन का भोग लगाया जाता है। इस पूजा में मुख्य रूप से दूध, दही, मक्खन, चावल, मिठाई, और कई प्रकार की सब्जियाँ भगवान को अर्पित की जाती हैं।
- गोधन बनाना: मिट्टी या गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाना।
- अन्नकूट भोग: कई प्रकार के भोजन और मिठाइयाँ बनाकर भगवान को अर्पित करना।
- परिक्रमा: इस दिन गोवर्धन पर्वत या उसके प्रतीक की परिक्रमा करने का भी महत्व है। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- दीप जलाना: गोवर्धन पर्वत के आसपास दीप जलाने का भी विशेष महत्व है।
गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan Puja Katha)
इस पर्व की एक और प्रसिद्ध कथा है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे इंद्र देव के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया था। यह कथा बताती है कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए अपने देव स्वरूप को भी त्याग कर साधारण मानव की तरह कार्य किया। यह कथा हमें सिखाती है कि अहंकार का नाश होता है और सत्य एवं भक्ति की हमेशा विजय होती है।
गोवर्धन पूजा और पर्यावरण संरक्षण
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रकृति की महत्ता को भी समझाता है। इस दिन प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखाने के लिए हम गोवर्धन पर्वत को पूजते हैं। यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए और इसे संरक्षित करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
गोवर्धन पूजा 2024 हमारे लिए भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा दिखाने का अवसर है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन की पूजा और अनुष्ठान न केवल भगवान को समर्पित होते हैं, बल्कि यह हमें भी सिखाते हैं कि हमें किस प्रकार प्रकृति और अपने परिवेश के प्रति अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।
गोवर्धन पूजा हर वर्ष हमें सिखाती है कि प्रकृति के प्रति हमें सजग रहना चाहिए और इसके महत्व को समझना चाहिए। इस दिवाली के अवसर पर, गोवर्धन पूजा को उत्साह और प्रेम से मनाएँ, और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करें।