1 अगस्त 2025 से ICICI बैंक ने UPI ट्रांजैक्शन पर एक नया चार्ज लगाने की घोषणा की है। यह चार्ज गूगल पे, फोनपे, मोबिक्विक जैसे ऐप्स के जरिए होने वाले लेनदेन पर लागू होगा। इससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इस कदम का असर सीधे तौर पर दुकानदारों और परोक्ष रूप से ग्राहकों पर भी पड़ सकता है।
📌 ICICI बैंक का नया चार्ज क्या है?
अब तक देश में ज्यादातर बैंकों ने UPI ट्रांजैक्शन पर कोई फीस नहीं ली थी। लेकिन ICICI बैंक ने पेमेंट एग्रीगेटर्स (जैसे Google Pay, PhonePe) से हर ट्रांजैक्शन पर चार्ज वसूलने का फैसला किया है।
💰 चार्ज की डिटेल्स:
शर्त | फीस |
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एग्रीगेटर का एस्क्रो अकाउंट ICICI में हो | 2 bps या अधिकतम ₹6 प्रति ट्रांजैक्शन |
एस्क्रो अकाउंट किसी अन्य बैंक में हो | 4 bps या अधिकतम ₹10 प्रति ट्रांजैक्शन |
मर्चेंट का खाता ICICI में हो | कोई चार्ज नहीं |
यह फीस मर्चेंट के बैंक खाते से लेन-देन सेटलमेंट के आधार पर लागू होगी।
🔗 पेमेंट एग्रीगेटर्स का रोल
गूगल पे, फोनपे जैसे ऐप्स पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA) कहलाते हैं। ये ग्राहक और व्यापारी के बीच ट्रांजैक्शन को प्रोसेस करने का काम करते हैं। यानी ग्राहक जब ऑनलाइन या दुकानों पर UPI से पेमेंट करता है, तो ये एग्रीगेटर्स उस लेन-देन को बैंक से जोड़ते हैं।
💡 ICICI ने यह फैसला क्यों लिया?
- बढ़ती लागत: UPI सिस्टम को चलाने के लिए बैंकों को टेक्नोलॉजी, सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश करना पड़ता है।
- कोई सीधा रेवेन्यू नहीं: अभी तक UPI पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं है, जिससे बैंक को सीधी आमदनी नहीं होती।
- RBI का संकेत: हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी UPI पर चार्जिंग की संभावना जताई थी।
इसलिए बैंक अब मर्चेंट ट्रांजैक्शन से कुछ रेवेन्यू जनरेट करना चाह रहे हैं।
🤔 ग्राहकों पर क्या असर होगा?
- आम ग्राहकों से अभी कोई फीस नहीं ली जाएगी।
- लेकिन संभावना है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स यह खर्च मर्चेंट्स पर डालें।
- मर्चेंट्स यह अतिरिक्त लागत प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत में जोड़ सकते हैं।
- यानी परोक्ष रूप से इसका असर आपकी जेब पर पड़ सकता है।
🏦 क्या बाकी बैंक भी यही कर रहे हैं?
हां, ICICI के अलावा Yes Bank और Axis Bank भी पेमेंट एग्रीगेटर्स से UPI ट्रांजैक्शन फीस वसूल रहे हैं।
UPI ट्रांजैक्शन, खासतौर से P2M (Person to Merchant) लेनदेन में तेजी से वृद्धि हो रही है। बैंकों के लिए यह सिस्टम महंगा साबित हो रहा है, जबकि इससे आमदनी नहीं हो रही। इसलिए चार्जिंग मॉडल की ओर झुकाव बढ़ रहा है।
📊 टेक्निकल और फाइनेंशियल नजरिया
- टेक्नोलॉजी अपग्रेड: बैंकों को सिक्योर और स्केलेबल सिस्टम के लिए क्लाउड, साइबर सिक्योरिटी और AI जैसी तकनीकों में निवेश करना होता है।
- लाभ-हानि का संतुलन: बैंकों के लिए हर ट्रांजैक्शन एक कॉस्ट है। बिना किसी रिटर्न के यह लॉन्ग-टर्म में घाटे का सौदा हो सकता है।
- विकास बनाम वसूली: डिजिटल इंडिया के विजन में यह कदम थोड़ा उलटा लग सकता है, लेकिन बैंकिंग सिस्टम के आर्थिक संतुलन के लिए जरूरी हो सकता है।
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
ICICI बैंक का यह कदम डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए एक नया टर्निंग पॉइंट हो सकता है। यह फैसला तकनीकी और आर्थिक रूप से बैंकों के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन इसका असर अंततः आम उपभोक्ताओं तक पहुंच सकता है।
आने वाले समय में UPI ट्रांजैक्शन पर और भी बैंकों द्वारा ऐसे चार्ज लगाए जा सकते हैं। इसलिए डिजिटल पेमेंट यूजर्स को यह समझना जरूरी है कि उनकी हर क्लिक के पीछे एक कॉस्ट छुपी हो सकती है।
🔔 सुझाव:
अगर आप व्यापारी हैं, तो ट्रांजैक्शन सेटेलमेंट वाले बैंक को सोच-समझकर चुनें। और अगर ग्राहक हैं, तो डिजिटल पेमेंट के साथ जुड़े अपडेट्स पर नजर रखें।