Durga Ashtami, Navami and Dusshera 2025: दुर्गा अष्टमी, नवमी और दशहरा कब है? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

आज हम बात करेंगे दुर्गा अष्टमी, नवमी और दशहरा के बारे में। ये त्योहार हिंदू धर्म में बहुत बड़े हैं और हर साल लाखों लोग इन्हें बड़े धूमधाम से मनाते हैं। 2025 में ये त्योहार कब पड़ेंगे, उनके शुभ मुहूर्त क्या हैं और इनका धार्मिक महत्व क्या है, सब कुछ हम सरल देसी हिंदी में बताएंगे। ये लेख आम लोगों के लिए लिखा गया है, ताकि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक आसानी से समझ सकें। चलिए शुरू करते हैं!

दुर्गा अष्टमी, नवमी और दशहरा का परिचय

दोस्तों, नवरात्रि का त्योहार तो आप सब जानते ही होंगे। ये नौ दिनों का उत्सव होता है, जहां मां दुर्गा की नौ रूपों में पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी कहते हैं, नौवें दिन को नवमी और दसवें दिन को दशहरा या विजयादशमी। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। भारत में ये उत्तर से दक्षिण तक अलग-अलग तरीकों से मनाए जाते हैं। जैसे बंगाल में दुर्गा पूजा का बड़ा मेला लगता है, तो उत्तर भारत में रामलीला होती है। 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को दशहरा पर खत्म होगी। ये समय खुशियों, पूजा-पाठ और परिवार के साथ बिताने का होता है।

अब सोचिए, क्यों ये दिन इतने खास हैं? क्योंकि इनमें मां दुर्गा की शक्ति की आराधना होती है। लोग व्रत रखते हैं, कन्या पूजन करते हैं और रावण दहन देखते हैं। ये त्योहार हमें सिखाते हैं कि कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, सच्चाई की जीत होती है। अगर आप 2025 में इन त्योहारों को मनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो ये लेख आपके लिए बहुत उपयोगी होगा। हम डेट्स, मुहूर्त और महत्व सब बताएंगे, ताकि आप सही समय पर पूजा कर सकें।

दुर्गा अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

चलिए पहले बात करते हैं दुर्गा अष्टमी की। ये नवरात्रि का आठवां दिन होता है, जिसे महाष्टमी भी कहते हैं। 2025 में दुर्गा अष्टमी 30 सितंबर, मंगलवार को पड़ेगी। अष्टमी तिथि 29 सितंबर को दोपहर 4:31 बजे से शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे तक रहेगी। पूजा का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है, लेकिन अगर आप कन्या पूजन करना चाहते हैं, तो दोपहर में करें।

शुभ मुहूर्त के बारे में बताएं तो, पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 से 5 बजे के बीच अच्छा है। लेकिन अगर आप व्यस्त हैं, तो अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:30 से 12:15 तक का लें। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। लोग घर में हवन करते हैं, मंत्र जपते हैं और कन्याओं को भोजन कराते हैं। कन्या पूजन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कन्याएं मां दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं। आमतौर पर 9 कन्याओं को बुलाया जाता है, लेकिन कम से कम 2 भी ठीक है। उन्हें हलवा, पूड़ी, चने और फल खिलाएं। ये सब करने से घर में सुख-शांति आती है।

अगर आप गांव में रहते हैं, तो वहां मेला लगता होगा। शहरों में मंदिरों में स्पेशल पूजा होती है। याद रखें, व्रत रखने वाले लोग इस दिन फलाहार ही करें, नमक वाला खाना न खाएं। ये दिन शक्ति की उपासना का है, तो मन से शांत रहें और नेगेटिव विचार न आने दें।

नवमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

अब आते हैं नवमी पर। ये नवरात्रि का नौवां और आखिरी दिन होता है, जिसे महानवमी कहते हैं। 2025 में नवमी 1 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। नवमी तिथि 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे से शुरू होकर 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे तक रहेगी। पूजा का बेस्ट टाइम सुबह है, लेकिन अगर कन्या पूजन बाकी है, तो नवमी पर भी कर सकते हैं। कुछ जगहों पर अष्टमी और नवमी दोनों दिन कन्या पूजन होता है।

शुभ मुहूर्त में, विजय मुहूर्त दोपहर 2 से 3 बजे के बीच अच्छा है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की आराधना की जाती है। लोग घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, जो 700 श्लोकों की किताब है। अगर पूरा न पढ़ सकें, तो कम से कम कुछ अध्याय पढ़ें। नवमी पर व्रत का पारण भी होता है, मतलब व्रत खत्म करना। लेकिन पूजा के बाद ही।

ये दिन बहुत पावरफुल है। कहते हैं कि नवमी पर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं, जैसे बिजनेस या जॉब, तो नवमी का दिन शुभ है। परिवार के साथ मिलकर पूजा करें, तो और अच्छा। बच्चे भी इसमें शामिल हों, ताकि उन्हें संस्कृति की जानकारी मिले।

दशहरा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

दशहरा तो सबका फेवरेट है! ये नवरात्रि के बाद दसवें दिन आता है, जिसे विजयादशमी कहते हैं। 2025 में दशहरा 2 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ेगा। दशमी तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर को शाम तक रहेगी। रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम को होता है, लेकिन पूजा के लिए अपराह्न समय 1:21 से 3:44 बजे तक बेस्ट है। विजय मुहूर्त 2:09 से 2:56 बजे तक है।

इस दिन लोग शस्त्र पूजन करते हैं, मतलब हथियारों या टूल्स की पूजा। किसान अपने औजार पूजते हैं, स्टूडेंट्स किताबें। शाम को रामलीला देखने जाते हैं और रावण का पुतला जलाते हैं। ये देखना बहुत मजेदार होता है। दशहरा हमें सिखाता है कि घमंड और बुराई का अंत होता है।

इन त्योहारों का धार्मिक महत्व

अब बात करते हैं महत्व की। दुर्गा अष्टमी का महत्व ये है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस से युद्ध किया और उसे हराया। ये दिन स्त्री शक्ति का प्रतीक है। कन्या पूजन से हमें लड़कियों का सम्मान करना सिखाता है। नवमी पर मां की जीत पूरी होती है, तो ये समापन का दिन है। दशहरा रामायण से जुड़ा है, जहां भगवान राम ने रावण को मारा। दोनों कहानियां अच्छाई की जीत बताती हैं।

धार्मिक रूप से, ये त्योहार हमें नेगेटिव एनर्जी से दूर रखते हैं। पूजा से मन शांत होता है, परिवार एकजुट होता है। वैज्ञानिक रूप से भी, व्रत से बॉडी डिटॉक्स होती है। अलग-अलग राज्यों में महत्व अलग है। जैसे बंगाल में दुर्गा पूजा में पंडाल सजते हैं, गुजरात में गरबा डांस। ये सब हमें एकता सिखाते हैं।

पूजा और रस्में कैसे करें

पूजा सरल रखें। सुबह उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें। मां की मूर्ति या फोटो के सामने घी का दीपक जलाएं। फूल, अगरबत्ती चढ़ाएं। मंत्र बोलें जैसे “ओम दुं दुर्गायै नमः”। कन्या पूजन में कन्याओं के पैर धोएं, टीका लगाएं, भोजन दें। दशहरा पर शमी के पेड़ की पूजा करें।

घर पर अगर मूर्ति है, तो विसर्जन नवमी या दशहरा पर करें। बच्चे रावण बनाकर खेलें, लेकिन सेफ्टी का ध्यान रखें। ये रस्में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती हैं।

कहानियां और कथाएं

एक कहानी है महिषासुर की। वो राक्षस था, जिसने देवताओं को हराया। फिर मां दुर्गा बनीं और नौ दिन युद्ध कर अष्टमी पर उसे मारा। रामायण में राम ने रावण को दशहरा पर हराया। ये कहानियां हमें प्रेरणा देती हैं कि मुश्किलों से लड़ो। बच्चों को बताएं, ताकि वो सीखें।

अलग-अलग जगहों पर उत्सव

उत्तर भारत में रामलीला, दक्षिण में बॉम्बे डॉल्स। बंगाल में दुर्गा पंडाल। गुजरात में डांडिया। हर जगह खुशी ही खुशी। 2025 में अगर ट्रैवल करें, तो इन जगहों पर जाएं।

क्यों मनाएं ये त्योहार

ये त्योहार हमें जीवन की सच्चाई सिखाते हैं। अच्छाई जीतती है। परिवार के साथ मनाएं, खुश रहें। 2025 में ये दिन यादगार बनाएं।

डिस्क्लेमर

ये जानकारी पंचांग और सामान्य स्रोतों पर आधारित है। सटीक मुहूर्त के लिए स्थानीय पंडित से सलाह लें। तिथियां जगह के अनुसार बदल सकती हैं। हम कोई जिम्मेदारी नहीं लेते। सुरक्षित और खुशहाल त्योहार मनाएं।

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